Saturday 20 July 2013

बच्चे हमारी धरोहर



आज समाज की दुर्दशा को देख बहुत अफ़सोस होता है अपराध इस कदर तेजी से फैल रहा है, कि ऐसा कोई भी दिन नहीं होता हैं कि जब अखबार में इस तरह कि कोई खबर न छपी हो, चाहे वो बलात्कार हो लूटपाट हो या हत्या कि खबर हो | ये बेहद दर्दनाक पहलु है कि हमारे देश के ज्यादातर नौजवान युवावर्ग इस अपराधिक प्रवृति का शिकार हो रहा है चाहे फिर वो निम्न वर्ग हो माध्यम वर्ग हो या ऐशोआराम कि जिंदगी जीने वाला बड़े लोगो का वर्ग हो, अपराध ने हर जगह अपने पैर पसार रखे है | अखबारों और न्यूज चैनल्स के माध्यम से हम रोज ही ऐसी घटनाओं से रूबरू होते हैं ,खूब हंगामा होता है, मोमबतियां जला कर लोग विरोध प्रदर्शन करते हैं फिर कुछ दिन गुजरने के बाद सब शांत हो जाता है | उस अपराधी को सजा मिले या न मिले पर एक बात यहाँ गौर करने वाली ये है जो भी घटनाएँ प्रकाश में आती हैं या लाई जाती हैं उनसे अपराधियों के हौसले और बुलंद होते हैं फिर कहीं और जगह किसी और घटना को अंजाम दिया जाता है | जाहिर है कि कानून प्रक्रिया का सुस्त होना, गुनाहगार को सजा न मिल पाना या जमानत पर उसका छूट जाना कितने ही कारण हो सकते हैं इस तरह से बढ़ते अपराध के | ये बात यहाँ समझने वाली है कि जो व्यक्ति अपने जिंदगी में पहली बार अपराध करता है वो हम में से ही है वो इस समाज से ही आता है ,परन्तु मानसिक तौर पर वो इस कदर बीमार होता है कि अपराध करने में उसे किसी भी तरह का या कोई भी संकोच नहीं होता है | आखिर हमारी नयी पीढ़ी या युबा वर्ग किस तरफ जा रहा है | जिस जहरीले पेड़ को आप नष्ट करना चाहते हो अगर आप उसकी सिर्फ शाखाएं काटते रहोगे तो कोई लाभ नहीं होगा क्योकि शाखाएं तो फिर से उग आती हैं | उसी तरह से सिर्फ दो चार अपराधियों को सजा देने से समाज में बेख़ौफ़ बढ़ते अपराध को कम नहीं किया जा सकता है जब तक के हम जड़ में पहुँच कर उस अपराध के पेड़ को जड़ समेत उखाड़ नहीं फेंकते |यह सोचना बेहद जरूरी है कि पन्द्रह साल के उपर के बच्चों में ये अपराधिक भावना क्यों जनम लेने लगती है और वो क्यों अपराध के इस दलदल कि और क्यों खिचे चले जाते हैं |अगर हम कोशिश करें तो हम इस युवा वर्ग को अपराध कि तरफ बढ़ने से रोक सकते हैं,ये हमारी धरोहर हैं | ये जिम्मेदारी हर माँ बाप की है की अपने बच्चों को सही शिक्षा दे सही वातावरण और स्वस्थ माहौल में बच्चों की परवरिश करें
           
आइये जानते हैं कुछ ऐसी बातों को जो हम अपने बच्चों को सिखा सकते हैं और उनका भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं :-


 1. बच्चों में धार्मिक भावना का विकास करें:

जब बच्चा स्कूल जाने लगे तो ये समझ जाना चाहिए की उसे अच्छे और बुरे का ज्ञान हो रहा है ,उसे बताएं ईश्वर क्या है, कौन है ,कभी कभार मंदिर ले जाएँ हमारे समाज के अंदर बहुत से लोग ये मानते हैं की छोटे बच्चों को पूजा पाठ क्या सिखाना,उनके  हंसने खेलने की उमर है इत्यादि कितनी तरह की बातें होती हैं परन्तु हर माता पिता को ये जानना आवश्यक है की कच्ची उमर में ही संस्कारों के बीज बोये जा सकते हैं | अगर आपका बच्चा पूजा पाठ करता है तो उसमे ईश्वर के प्रति एक भाव उत्पन्न होता है ,की इस संसार को चलाने वाला ईश्वर है अगर वो कोई भी गलत काम करेगा तो ईश्वर सजा देगा |
२. बच्चों को वेद मंत्रो की शिक्षा दें:

अक्सर इस दौड़ती भागती दुनियां में हम अपने पौराणिक वेद पुरानो और ग्रंथों से दूर हो चुके हैं न ही हम आगे की आने वाली पीढ़ियों को इसकी शिक्षा दे पा रहे हैं , हमारे वेदों में जो मंत्र हैं उनमे गूढ़ रहस्य छिपे होने के साथ साथ चमत्कारिक शक्तियां भी मौजूद है  वेदों में बहुत सुंदर बातें लिखी गयी हैं हम उन्हें अपने बच्चों को बताएं | वैदिक मन्त्रों को भी हम अपने बच्चों को सिखा सकते हैं |
३. बच्चों को नैतिकता का पाठ पढाएं:

नैतिक शिक्षा, सैधान्तिक मुल्य और आदर्श जीवन के कुछ जरुरी अंग हैं
क्या सही है क्या गलत ये बच्चों को जरूर बताएं बड़ों का आदर करें ,छोटों से स्नेह करें गुरु के प्रति विनम्र बने ,घर पर कोई अतिथि आए तो शांत भाव से रहें उनसे आदरपूर्वक बात करें |
४. सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाएँ :

सत्य से बड़ी ताकत नहीं है ,बच्चों को सिखाएं सदा सत्य बोलें और सत्य का साथ दें | हमारे साथ इस दुनियां में मौजूद हर जीव को दया की दृष्टि से देखें
अहिंसा के मार्ग पर चलने को कहें, आस पास रह रहे जानवरों पक्षियों को तंग न करें उन्हें ये सिखाएं |
५. ईमानदारी का
 गुण बताएं:
जिस तरह कुम्हार चिकनी मिटटी को अपने अनुरूप आकार देकर एक घड़ा तैयार करता है ठीक वैसे ही बच्चे होते हैं बेहद कोमल मासूम, अच्छी आदतों का बीज कच्ची उमर में ही बोया जा सकता है  उन्हें कुछ अच्छी बातें सिखाएं
जैसे इमानदारी, आज भ्रष्टाचार की दुनियां में ये एक बहुत अजीब चीज लगती है ईमानदारी अपने आप में एक गुण हैं, इसके गुणों को बच्चों के सामने उजागर करें |
६. बच्चों को को कला के क्षेत्र की तरफ अग्रसर करें :

माँ बाप बच्चे के बारे में सब कुछ जानते हैं पढाई के आलावा ये जानने की कोशिश करें की बच्चे को क्या अच्छा लगता है | उससे ये बात पूछें अगर बच्चे का मन संगीत पेटिंग या डांस में हैं तो उसे रोकें नहीं बल्कि उसके सहायक बने, कला संगीत एक ऐसी चीज है जो बच्चों को बुराई से दूर ले जाती है |
७. खेल कूद की तरफ उनके कदम बढ़ाएं :

 खाली समय में या छुट्टियों में बच्चों को किसी भी खेल को दिनचर्या में शामिल करने को कहें हाकी फूटबाल इतियादी कुछ भी | इससे बच्चों को खाली समय नहीं मिलेगा और खेल बच्चों में अनुसाशनभी लाता है | इससे मन और शरीर दोनों तंदरुस्त रहेगे |
८. अपने बच्चों को टी. वी  इन्टरनेट से दूर रखें :

अक्सर आजकल बच्चे बाहर खेलने के बजाये घर में ही टी.वी या इन्टरनेट पर खुश रहते हैं | आज कल टी.वी बच्चों के देखने के लिए नहीं रह गया है और इन्टरनेट पर तो अश्लील सामग्री व्यंजनों की तरह परोसी जा रही है ,बच्चों को इससे दूर रखें | बच्चों को होमवर्क के बाद थोड़ी देर बाहर मैदान में खेलने भेजें |